कुछ अनकही सी …………!
उस आकाश की चाह क्यूँ जो कभी मेरा था ही नहीं ! उस ज़मीन के लिए उदासी क्यूँ जो कभी फैला ही नही !!
Thursday, 3 July 2014
शब्द …!!
शब्द …
खिलते
महकते
झिझकते
सिसकते
खिलखिलाते
चलते
ठिठकते
लिरजते
डूबते
निकलते
शब्द में बसा संसार !!!
$hweta
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