Tuesday 6 August 2019

अतीत के पन्नो को

इन अतीत के पन्नो को जब कभी पलट के देखा तो

कभी आखें नम हुई तो कभी होठो पर मुस्कराहट आई...




कभी साथ-साथ शरारतें करना

कभी चुप- चाप घने साये में बैठे रहना

कभी रेत के टीलो पर घरोंदे बनाना

कभी बारिश के पानी में कस्ती चलाना




इन अतीत के पन्नो को जब कभी पलट के देखा तो

कभी आखें नम हुई तो कभी होठो पर मुस्कराहट आई...



कभी तुझे चिड़ाना कभी खुद रूठ जाना

कभी तेरे साथ चलना कभी रुक -रुक चलना

कभी तेरी ही गोद में सर रख के सोना

और कभी तेरे लिए ही इन आँखों का रोना




इन अतीत के पन्नो को जब कभी पलट के देखा तो

कभी आखें नम हुई तो कभी होठो पर मुस्कराहट आई...




कभी मेरा तुम पर हसना कभी तेरा मुझको छेड़ जाना

कभी साथ चलते- चलते रुकना और कभी आगे निकल जाना

कभी एक ही साथ हम दोनों का हसना और कभी रो पड़ना .....




इन अतीत के पन्नो को जब कभी पलट के देखा तो

कभी आखें नम हुई तो कभी होठो पर मुस्कराहट आई........


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