वो एक बूंद
जो पलक तक
आ ठहरी थी
जाने कितने
ख्वाब समेटे
जाने कितने
सपनो के रंग लिए
अनछुई थी बस
एक स्पर्श से
टूट कर गिरी
और दफ़न हो
गयी हथेली में !
!!! $hweta!!!
जो पलक तक
आ ठहरी थी
जाने कितने
ख्वाब समेटे
जाने कितने
सपनो के रंग लिए
अनछुई थी बस
एक स्पर्श से
टूट कर गिरी
और दफ़न हो
गयी हथेली में !
!!! $hweta!!!
No comments:
Post a Comment