पता है मुझे यूँ चुप रहकर तुम
ये खामोशियाँ हमे ही सुनाते हो ना तुम
बहुत बोलते हो ना जब बोलते नही हो तुम
यूँ तोड़कर ताल्लुक़ हमसे रोज़ हमे ही पढ़ते हो ना तुम
लिखा तो नही है कुछ भी न जाहिर फिर भी
अपना नाम समझ ही जाते हो ना तुम
बेहद बेइंतिहा बेवजह ही हो ना तुम
Shweta
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