दिल की हर एक गिरह लिखना
मुझको ख़त आज बेवजह लिखना
हिज़्र की रात बहुत लंबी गुज़री
वस्ल की अब तो एक सुबह लिखना
ज़ब्त कर रखी हैं तुमने मेरी वफ़ाएँ
माज़ी का कोई एक गुनाह तो लिखना
जो कहते हैं गर इसको मुहब्बत
तो मेरी मुहब्बत में मुझे गुमनाम लिखना
दिल में दफ़्न कर रखी हैं हमने खवाईशें कई
मेरी फ़ातिहा में मेरी क़ब्र पर एक अपनी ग़ज़ल लिखना
$hweta
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