उस आकाश की चाह क्यूँ जो कभी मेरा था ही नहीं ! उस ज़मीन के लिए उदासी क्यूँ जो कभी फैला ही नही !!
ये गुलमोहर सबको ही रिझाता है ... सुन्दर कविता ...
सच प्रकृति की सादगी और रंगीनियाँ होती ही ऐसी हैं सादर आभार आपका
ये गुलमोहर सबको ही रिझाता है ... सुन्दर कविता ...
ReplyDeleteसच प्रकृति की सादगी और रंगीनियाँ होती ही ऐसी हैं
ReplyDeleteसादर आभार आपका