Sunday 29 June 2014

क्यूँ है ????

ये बंधन  जो तोड़े से भी नही टूटते हैं
सपने आसमा के अब आँखों को नही मिलते हैं
बेवजह उपेक्षाओं के शिकार हम ही होते क्यूँ हैं ?????

तुमको राह तो मैंने दिखाया हमे अँधेरे क्यूँ मिलते हैं
मीठी बोली से मुलाकात करवाई ज़हर हमारे हिस्से आते हैं
प्यार की फुहारें बरसायी तुम पर इधर उदासियों का सेहरा बस्ता क्यूँ है ?????
हर मोड़ हर राह पर सवारा तुम्हे फिर बिखराव घर मेरे बसती है
तिनका तिनका जोड़ें जहां बनाये बातें ज़ार ज़ार कर मन तोड़ जाती है
खता क्या हमारी बेवजह सजाएं हमारे दामन चमकती क्यूँ हैं ???
                              ताउम्र बोझ ढोती ये जिंदगी  बोझ ही कहलाती क्यूँ है ??????

                                                                                               ~श्वेता ~