उस आकाश की चाह क्यूँ जो कभी मेरा था ही नहीं ! उस ज़मीन के लिए उदासी क्यूँ जो कभी फैला ही नही !!
Wednesday 19 May 2021
Thursday 13 May 2021
पता है
पता है मुझे यूँ चुप रहकर तुम
ये खामोशियाँ हमे ही सुनाते हो ना तुम
बहुत बोलते हो ना जब बोलते नही हो तुम
यूँ तोड़कर ताल्लुक़ हमसे रोज़ हमे ही पढ़ते हो ना तुम
लिखा तो नही है कुछ भी न जाहिर फिर भी
अपना नाम समझ ही जाते हो ना तुम
बेहद बेइंतिहा बेवजह ही हो ना तुम
Shweta
Friday 7 May 2021
लिखना
दिल की हर एक गिरह लिखना
मुझको ख़त आज बेवजह लिखना
हिज़्र की रात बहुत लंबी गुज़री
वस्ल की अब तो एक सुबह लिखना
ज़ब्त कर रखी हैं तुमने मेरी वफ़ाएँ
माज़ी का कोई एक गुनाह तो लिखना
जो कहते हैं गर इसको मुहब्बत
तो मेरी मुहब्बत में मुझे गुमनाम लिखना
दिल में दफ़्न कर रखी हैं हमने खवाईशें कई
मेरी फ़ातिहा में मेरी क़ब्र पर एक अपनी ग़ज़ल लिखना
$hweta
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