Tuesday 12 November 2019

तन्हाई

वो हिज्र वो तन्हाई
वो आँखों के सैलाब की रुसवाई
तेरे इंतज़ार की शब किस मोड़ पर ले आई !!

Tuesday 6 August 2019

अतीत के पन्नो को

इन अतीत के पन्नो को जब कभी पलट के देखा तो

कभी आखें नम हुई तो कभी होठो पर मुस्कराहट आई...




कभी साथ-साथ शरारतें करना

कभी चुप- चाप घने साये में बैठे रहना

कभी रेत के टीलो पर घरोंदे बनाना

कभी बारिश के पानी में कस्ती चलाना




इन अतीत के पन्नो को जब कभी पलट के देखा तो

कभी आखें नम हुई तो कभी होठो पर मुस्कराहट आई...



कभी तुझे चिड़ाना कभी खुद रूठ जाना

कभी तेरे साथ चलना कभी रुक -रुक चलना

कभी तेरी ही गोद में सर रख के सोना

और कभी तेरे लिए ही इन आँखों का रोना




इन अतीत के पन्नो को जब कभी पलट के देखा तो

कभी आखें नम हुई तो कभी होठो पर मुस्कराहट आई...




कभी मेरा तुम पर हसना कभी तेरा मुझको छेड़ जाना

कभी साथ चलते- चलते रुकना और कभी आगे निकल जाना

कभी एक ही साथ हम दोनों का हसना और कभी रो पड़ना .....




इन अतीत के पन्नो को जब कभी पलट के देखा तो

कभी आखें नम हुई तो कभी होठो पर मुस्कराहट आई........


$M

ख्वाब

नन्ही  नन्ही आँखों के वो नन्हे से ख्वाब सुनहरे थे
कुछ बिखरे कुछ सवरे जो भी थे वो थे मेरे अपने थे


नन्हे से घरोंदें में तेरे मेरे ही दिन रात के बसेरे थे
बाग़ में अपने खिलते दो फूलों के प्यारे से घेरे थे
हर रुत में लगते अपने  ही प्यार  के मेले थे


वक़्त का बदला रुख देश में ही कहलाते परदेशी थे
जिनको आती थी शर्म हम पर आज वो मेरे अपने थे
हँसते गाते तंहा अपने ही घरोंदे में ख़ामोशी से रहते थे


एक रोज़ ख़ामोशी को तंज़ दे  परियों से बांते करते थे
वो मेरी रांहे तकते थे हम बेसबब इंतज़ार उनका करते थे
लम्हे सुनहरे ख्वाब रुपहले थे  वो दिन भी कितने अच्छे थे
 
खुशियों से लबरेज़  हवा में हाथों में हाथ लिए उड़ते थे
कुछ गुज़रे दिन की बांते कुछ आने वाले पल के सपने थे
दर्दीले  खट्टे मीठे जीवन के गुज़रे दिन कितने सच्चे थे

$hweta Misra