Friday 16 April 2021

कांटे



रिश्ते दिलों के
क्यूँ दर्द के साए
में पलते हैं
क्यूँ काँटों
पर ही फूल
सुखों के खिलते हैं
क्यूँ तड़प के रह
जाती हैं रूहें
क्यूँ दूर कहीं
जमी आसमा
मिल के भी नही
मिलते हैं
क्यूँ निश्छल
प्रेम भी
रिश्तों में कांटे
बन उभरते हैं
क्यूँ रिश्तों के
सफ़र में
पड़ाव से पहले ही
पावं फिसलते हैं !!

Shweta Misra

2 comments:

  1. ये प्रश्न और शायद है बहुत आसान उत्तर .... क्यों कि यदि सब अच्छा ही हो तो अच्छे की अहमियत कैसे पता चलेगी ...
    सुन्दर रचना .

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  2. अभिभूत हूँ
    सादर आभार

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